Wednesday, December 22, 2010

हरकीरत ' हीर- Guwahati- Assam- India




कुछ उदास सी चुप्‍पियाँ ....

कुछ उदास सी चुप्‍पियाँ
टपकती रहीं आसमां से
सारी रात...

बिजलियों के टुकडे़
बरस कर
कुछ इस तरह मुस्‍कुराये
जैसे हंसी की खुदकुशी पर
मनाया हो जश्‍न

चाँद की लावारिश सी रौशनी
झाँकती रही खिड़कियों से
सारी रात...

रात के पसरे अंधेरों में
पगलाता रहा मन
लाशें जलती रहीं
अवरूद्ध सासों में
मन की तहों में
कहीं छिपा दर्द
खिलखिला के हंसता रहा
सारी रात...

थकी निराश आँखों में
घिघियाती रही मौत
वक्‍त की कब्र में सोये
कई मुर्दा सवालात
आग में नहाते रहे
सारी रात...

जिंदगी और मौत का फैसला
टिक जाता है
सुई की नोक पर
इक घिनौनी साजि़श
रचते हैं अंधेरे

एकाएक समुद्र की
इक भटकती लहर
रो उठती है दहाडे़ मारकर
सातवीं मंजिल से
कूद जाती हैं विखंडित
मासूम इच्‍छाएं

मौत झूलती रही पंखे से
सारी रात...

कुछ उदास सी चुप्‍पियाँ
टपकती रहीं आसमां से
सारी रात...


2.
दर्द के टुकड़े

फेंके हुए लफ्‍़ज
धूप की चुन्‍नी ओढे़
अपने हिस्‍से का
जाम पीते रहे
सूरज खींचता रहा
लकीरें देह पर
मन की गीली मिट्‌टी में
कहीं चूडि़याँ सी टूटीं
और दर्द के टुकडे़
बर्फ हो गए...

(प्रकाशित- 'पर्वत-राग' अक्‍टू.-दिसं.०८)
सं:गुरमीत बेदी

3.

पत्‍थर होता जिस्‍म़

तुम गढ़ते रहे
देह की मिट्‌टी पर
अपने नाम के अक्षर
हथौडो़ की चोट से
जिस्‍म़ मेरा
पत्‍थर होता रहा...

(प्रकाशित- 'सरिता' जुलाई-द्वितीय -०८ )

7 comments:

  1. बेहद नाजुक भावों वाली इस कविता में अविरूद्ध (अवरुद्ध)और
    समुन्‍द्र (समुद्र या समुन्‍दर) शब्‍दों पर कृपया गौर करें.

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  2. शुक्रिया राहुल जी ध्यान दिलाने के लिए .....
    शायद मैंने ब्लॉग में ही गलत डाली होंगी .....
    सुरजीत जी कृपया गल्तियाँ सुधार दें ....!!


    kripyaa word verification hta dein ....

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  3. I have corrected the spelling mistakes. Thanks for pointing out.

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  4. सुरजीत जी ,
    वर्ड verification हटाने के लिए सेटिंग में जाकर नीचे कमेन्ट पे क्लिक कीजिये वहीँ ..Show word verification for comments? लिखा मिलेगा जिसे न no कर दें ....

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  5. हीर की तो हर कविता दिल पर उतरती है, इनके अपने ब्लॉग पर तो पढ़ता ही रहता हूँ। आपके ब्लॉग पर भी इन्हें देखकर बहुत अच्छा लगा।

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  6. Subhash ji shukria !Harkirat ji ki poetry ki mein bhi fan hoon.

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